उत्तराखंड में इन दिनों सियासी हवाएं उफान पर है। सत्ताधारी पार्टी और विपक्षीय पार्टी के बीच लगातार सियासी संग्राम जारी है। कभी धर्म के नाम पर तो कभी जाति के नाम पर ।

उत्तराखंड के चार धामों में केदारनाथ धाम इन दिनों काफी विवादों में है। जिसकी वजह है दिल्ली में केदारनाथ धाम का प्रतीकात्मक मंदिर बनना। हालांकि जिस पर सीएम धामी ने रोक लगा दी है और आदेश दिया है कि उत्तराखंड में स्थिति चार धामों की नाम से कोई भी मंदिर या ट्रस्ट नही बनाएगा जाएगा। अगर ऐसा होता है तो उस पर कठोर कार्रवाई की जायेगी। ये तो वही बात हो गई पहले खुद रायता फैलाओ फिर उस रायते को समेटो। जो धामी जी ने बखूबी किया है।

आपको बता दें कि सीएम धामी ने उत्तरप्रदेश की तर्ज पर अब उत्तराखंड में भी कांवड़ यात्रा मार्ग को लेकर एक आदेश जारी किया है। जिस पर साफ़ साफ़ कहना है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर लगी रेहड़ी दुकानों पटरी पर दुकानदारों को अपना नाम पता मोबाइल नंबर की तख्ती लगानी होगी और ऐसा ना करने पर उनकी दुकान रास्ते से हटा दी जायेगी। साथ ही होटल ढाबों को भी अपने नाम की तख्ती लगानी होगी ऐसा ना करने पर कारवाई की जायेगी।

यूपी और उत्तराखंड के इस फैसले के बाद से सियासत गरमा गई है। भाजपा के ईस फैसले की बाद विपक्षीय पार्टी लगातार हमलावर हो गई है। जिस पर विपक्षीय नेताओं का कहना है कि भाजपा ने आज पूरे देश को धर्म के नाम पर बांट दिया है। भाजपा सरकार आज धर्म की नाम पर दुकानों पर नाम लिखवा रही है तो कल जाति के नाम पर लिखवाएगी। भाजपा सिर्फ और सर्ग धर्म की राजनीती करना जानती है और कुछ नहीं।

कांवड़ यात्री किस दुकान से सामान लेंगे और किस दुकान से नहीं क्या इस बात का तय भी भाजपा करेंगी। हालांकि भाजपा सरकार अपने द्वारा लिए ईस फैसले को जनता के हित में बताया है जिससे कि किसी भी कावड़िए को किसी भी तरह की परेशानी ना हो। अगर कोई कावड़िया किसी भी दुकान से कुछ खरीदता है या कुछ लिया सामान भूल जाता है तो वो यात्री दूकान में लगे नाम नंबर तख्ती कि मदद से अपना सामान हासिल करने में सफल होगा। जिससे की विवाद की स्थिति उत्पन्न ना हों।

 

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