देहरादून: प्रदेश में अधिकारियों पर जांच से जुड़े मामले अक्सर ठंडे बस्ते में ही दिखाई देते हैं, पहले तो जांच होती नहीं और जांच होती भी है तो उसमें महीनों लग जाते हैं. यही नहीं जांच पूरी होने के बाद भी कानूनी राय लेने के नाम पर लंबा समय लगाया जाता है। ऐसा ही मामला उत्तराखंड वन विभाग में भी सामने आया है, जहां आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन की जांच रिपोर्ट पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है।
इस मामले पर जब मीडिया ने वन मंत्री सुबोध उनियाल से बात की और उनसे भारतीय वन सेवा के अधिकारी मनोज चंद्रन की जांच को लेकर सवाल किया। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि मनोज चंद्रन प्रकरण की जांच पूरी हो चुकी है और अभी इस मामले में परीक्षण करवाया जा रहा है, जिसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। जबकि वन विभाग से आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन देकर जा चुके हैं।
मनोज चंद्रन ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए 3 महीने का नोटिस देने के साथ ही वन विभाग में काम करना बंद कर दिया था और मार्च महीने के बाद वह सेवा पर नहीं हैं। हालांकि उनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को लेकर शासन स्तर से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
मामले में दूसरा पहलू यह है कि आईएफएस अफसर मनोज चंद्रन के HRD में जिम्मेदारी संभालते हुए प्रमोशन देने और आउटसोर्स कर्मियों को नियमित करने के मामले की जांच भी पूरी हो चुकी है। उनकी जांच पीसीसीएफ स्तर के अफसर विजय कुमार ने की थी। जो दिसंबर महीने में ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं और अपने सेवानिवृत्त से ठीक पहले उन्होंने जांच रिपोर्ट सौंप दी थी। इस तरह देखा जाए तो पिछले 4 महीने से अब तक इस जांच रिपोर्ट पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।
जानकारी यह भी सामने आ रही है कि इस प्रकरण पर किसी दूसरे अफसर को दोबारा जांच दी जा सकती है और ऐसे में जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती और सरकार किसी अंतिम निर्णय तक नहीं पहुंच जाती तब तक आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन अधर में ही लटके रहेंगे।