बागेश्वर: राजुला मालूशाही, झोड़ा, चांचरी, छपेली जागर, भगनौल जैसे लोकगीत उत्तराखंड की सांस्कृतिक आत्मा हैं। लेकिन अब सवाल ये उठता है…क्या इन धरोहरों को जीवित रखने वाले कलाकार आज भी हमारे बीच हैं? और जो बचे हैं, क्या उन्हें वो मान-सम्मान और सहयोग मिल पा रहा है…जिसके वे असली हकदार हैं?

ऐसी ही एक लोकगायिका हैं कमला देवी जो बागेश्वर जिले के लखानी गांव की रहने वाली हैं। उनकी आवाज में न सिर्फ पहाड़ का दर्द है..बल्कि संस्कृति को जीवित रखने का जज़्बा भी है। उन्होंने वर्षों से इन लोक विधाओं को मंच पर जिंदा रखा है…पर खुद आज कठिन हालात से गुजर रही हैं।

हाल ही में आए एक तेज़ तूफान ने उनके मकान को गंभीर नुकसान पहुंचाया। छत की चादरें उड़ गईं और घर अब रहने लायक नहीं बचा। पति बेरोजगार हैं, बेटा बीमार और कमला देवी अकेले ही घर की सारी ज़िम्मेदारियां उठा रही हैं। गायिकी से तालियां तो मिलती हैं, लेकिन जीवन चलाने के लिए जरूरी साधन अब भी न के बराबर हैं।

छत की मरम्मत में करीब ढाई लाख रुपये का खर्च बताया गया है…जबकि जेब में कुछ भी नहीं। ऐसे में सवाल उठता है…क्या हमारी लोक संस्कृति को बचाने वाले कलाकारों की मदद कोई करेगा?

सरकारी दफ्तरों और संस्कृति विभाग से अब तक कोई ठोस मदद नहीं मिली है। अक्सर देखा गया है कि जिनके पास वास्तविक हुनर होता है वे संसाधनों से वंचित रह जाते हैं।

इसलिए अब जरूरत है कि हम सब मिलकर इस लोककलाकार की मदद के लिए आगे आएं। हमारी थोड़ी सी मदद कमला देवी के लिए नई उम्मीद बन सकती है। एक कलाकार जो हमारी संस्कृति को बचा रही है…क्या हम उसके लिए एक छत नहीं बना सकते ?

कमला देवी की मदद करें। संस्कृति को बचाएं।

लोक कलाकार कमला देवी का गूगल पे 8057119356 और

बैंक एकाउंट

कमला देवी,

स्टेट बैंक आफ इंडिया, account no. 33862774694

IFSC कोड SBIN0008970.

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