सोचिएगा जरूर:

हर साल आपदाओं की जद में आता उत्तराखंड, आंखीर कैसे बचे ये देवभूमि … अपनो को खोने का डर,, बारिश, बचाव और विपदा के बीच धीरे धीरे पलायन को मजबूर हो रहे पहाड़ से पहाड़ के लोग। इस बीच कैसे बचे हमारे पहाड़ की सभ्यता और संस्कृति।

 

1 अगस्त की रात उत्तराखंड में काली रात रात साबित हुई। भारी बारिश के चलते इस काली रात में बादल फटने और भूस्खलन जैसी आपदाओं से विभिन्न जगहों पर भारी तबाही हुई। बात करे केदारनाथ और टिहरी के घनस्यालि में हुई भयंकर तबाही की। केदारनाथ में आज रेस्क्यू का दूसरा दिन है। लगातार एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीम यात्रियों को बाहर निकाल रही है। चारों तरफ चीख पुकार है।

बता दें कि केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर लिनचोली और भीमबली में बादल फटने और भूस्खलन होने से मार्ग अवरूद्ध हो गया। जिसके कारण हजारों यात्री मार्ग पर फंसे रहे। जिसके बाद शासन प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी करते हुए केदारनाथ धाम यात्रा को रोक दिया।

बता दें कि 5 हजार यात्रियों को रेस्क्यू किया गया है। फंसे यात्रियों को चिनूक और MI-17 समेत 7 हेलिकॉप्टर की भी मदद ली गई। हालांकि, 300 तीर्थयात्री अभी फंसे हैं। इस आपदा के बीच लगातार बचाव कार्य जारी है। अपनो की तलाश में हाथ में फोटों लिए परिवार के लोग रोते बिलखते खड़े हुए हैं। लेकिन ये पल भयभीत करने वाला है। इस आपदा में कई यात्री घायल हो गए हैं जिनका उपचार किया जा रहा है।केदरनाथ में आई इस आपदा ने एक बार फिर से साल 2013 में हुई आपदा की याद दिलाई।

1 अगस्त की रात टिहरी के घनस्याली में आई आपदा ने भी कै घरों को बेघर कर दिया। जिसमें तीन लोगों की मौत भी हुई है। उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण टिहरी, हरिद्वार , देहरादून, नैनीताल, रुद्रप्रयाग में अब तक कुल 16 मौतें हो चुकी हैं।

इधर मौसम विभाग ने 2 अगस्त यानी आज 24 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।

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