प्रदेश में निकाय चुनाव नजदीक है। सबकी नजरें इस चुनाव पर अटकी है। वहीं प्रदेश के 99 नगर निकायों में चुनाव की तैयारी तेज हो गई है। सरकार मानसून के बाद सितंबर-अक्तूबर माह में निकाय चुनाव की तैयारी कर रही है। इस संबंध में शासन स्तर पर तैयारी तेज की गई है। ओबीसी आरक्षण की नियमावली भी लगभग तैयार हो चुकी है। इसके लागू होते ही निकायों में आरक्षण की कवायद शुरू हो जाएगी।

बता दें कि इसी बीच निकाय चुनाव में हर साल भाजपा, कांग्रेस के साथ ही तमाम मान्यता प्राप्त दलों, अमान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों और प्रोविजनल पंजीकृत दलों के प्रत्याशी मैदान में उतरते हैं। इन सभी दलों में से पंजीकृत मान्यता प्राप्त दलों के तो चुनाव चिन्ह होते हैं, लेकिन अमान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों और प्रोविजनल दलों के प्रत्याशियों को राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से ही चुनाव के समय चुनाव चिन्ह आवंटित किया जाता है।

सभी दलों को समय-समय पर राज्य निर्वाचन आयोग में अपनी सालाना ऑडिट रिपोर्ट, आयकर से लेकर तमाम जानकारियां उपलब्ध करानी होती हैं। 11 दल ऐसे हैं, जिनका अता-पता नहीं है। आयोग बार-बार इन्हें नोटिस भेज रहा है लेकिन ये कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।

अब आयोग इन्हें अंतिम नोटिस जारी करने जा रहा है। इसके बाद भी तय तिथि तक दलों के प्रतिनिधि न आए तो इनकी मान्यता खत्म कर दी जाएगी। इनके प्रत्याशी आगामी नगर निकाय चुनाव में शामिल नहीं हो सकेंगे। आयोग उपायुक्त पीके सिंह ने बताया कि अंतिम नोटिस समाचार पत्रों के माध्यम से प्रकाशित किया जा रहा है। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी।

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