उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए कई राज्य आंदोलनकारी शहीद हुए। उनका एक ही सपना था अपना एक अलग राज्य हो। उत्तराखंड एक अलग राज्य तो बन गया लेकिन क्या उत्तराखंड में रह रहे लोगों को भू कानून, मूल निवास जैसे अधिकार मिल पाएंगे..?

इससे भी बड़ा सवाल है उत्तराखंड की राजधानी को लेकर…    जितना संघर्ष उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए किया गया उससे भी अधिक संघर्ष उत्तराखंड की राजधानी कर रही है। पूर्व में गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी के रुप में देखा गया। लेकिन बाद में देहरादून उत्तराखंड के अस्थाई राजधानी बना दी गई। 

जब कोई पार्टी विपक्ष में होती है तो गैरसैंण को राजधानी बनाने की बात करती है। और सत्ता में आते ही भूल जाती है। चाहें वो भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस।

दोनों पार्टियां बस अपनी राजनैतिक रोटियां सेंक रहे हैं। गैरसैंण में चल रहे मानसून विधानसभा सत्र मुश्किल से 3 दिन चला। उसके बाद सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।

विपक्ष ने विधानसभा सत्र की अवधि में हुई कमी को लेकर भी सवाल उठाए। जोरदार हंगामा भी किया। और कहा कि साल में 3 विधानसभा सत्र कराए जाएं। जिनकी अवधि 60 दिन की हो।

वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का बड़ा बयान सामने आया है। हरीश रावत ने कहा कि अगर कांग्रेस सरकार आती है। तो गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाया जाएगा।

 

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