उत्तराखंड में इन दिनों कोई चुनावी माहौल नहीं है बाबजूद इसके राजनीती सियासत में उबाल मचा हुआ है। ये पूरा का पूरा मामला बाबा केदार के धाम से जुड़ा हुआ है। जिसमें भाजपा और कांग्रेस आमने सामने है। आपको बता दें कि बीते दिनों दिल्ली में बाबा केदारनाथ का प्रतीकात्मक मंदिर बनने को लेकर विपक्षीय पार्टी, तीर्थ पुरोहितों से लेकर उत्तराखंड की जनता ने सीएम धामी के इस फैसले का पुरजोर विरोध किया।जिसके बाद सीएम धामी ने ये स्पष्ट किया था कि ये मंदिर किसी ट्रस्ट द्वारा बनाए जा रहा था। जिसके खिलाफ हमने एक कड़ा कानून निकाला है। और इस तरह से धामी सरकार ने अपने ही फैलाए रायते को बखूबी साफ़ किया।लेकिन फिर भी विवाद थम नहीं रहा है। या यह कहा जाये कि विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने में जुटा हुआ है। इसी के चलते कांग्रेस ने हरिद्वार से ‘केदारनाथ बचाओ’ पदयात्रा शुरू की है जो केदारनाथ धाम में समाप्त होगी।

केदारनाथ से भाजपा विधायक शैला रानी रावत का 9 जुलाई की देर रात देहरादून के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। जिसके बाद से केदारनाथ सीट खाली पड़ी हुई है। कांग्रेस ने हरिद्वार से ‘केदारनाथ बचाओ’ पदयात्रा शुरू की है जो केदारनाथ धाम में समाप्त होगी। इसी बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अचानक केदारनाथ पहुंच कर बाबा केदार के दर्शन किए और वहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया। सियासी जानकार इसे संयोग नहीं कांग्रेस पर पलटवार की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं। उनके मुताबिक, ये सारी सियासी कसरत केदारनाथ सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर है, जो भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद खाली हो चुकी है।अब इस सीट पर उपचुनाव होना है।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने अन्य पदाधिकारियों के साथ बुधवार को हरिद्वार से केदारनाथ प्रतिष्ठा रथ यात्रा शुरू की है। जय गंगे जय केदार का नारा लगाने के साथ कांग्रेस की पदयात्रा गढ़वाल मंडल के तमाम गांव और शहरों से होते हुए केदारनाथ में समाप्त होगी। इस दौरान कांग्रेस विभिन्न स्थानों पर जनसभाओं का आयोजन भी करेगी और जनता को केदारनाथ मंदिर के नाम पर हो रहे व्यवसाय कारण के बारे में भी बताएगी।कांग्रेस का मानना है कि केदारनाथ सनातनी परंपरा कि पहचान है। इसका व्यवसाय कारण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भाजपा देशभर में नफरत की राजनीति में धर्म का इस्तेमाल कर रही है। आमजन को भाजपा की असलियत बताने के लिए यह यात्रा निकाली जा रही है। उत्तराखंड में चल रहे इस धार्मिक घमासान में राजनीतिक मामले भी शामिल हैं क्योंकि हाल ही में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने उत्तराखंड की बद्रीनाथ और मंगलोर सीट पर भाजपा को करारी मात देते हुए कब्जा किया है।

कुछ दिनों पहले केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत के निधन से रिक्त हुई इस सीट पर जल्द उपचुनाव की संभावना को देखते हुए यह विवाद फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है। चर्चाएं हैं कि दोनों सीटों पर मिली जीत से उत्साहित कांग्रेस केदारनाथ सीट पर भी अपना वर्चस्व जमाने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती और केदारनाथ धाम की लड़ाई लड़कर इस सीट पर पैठ बनाने में भी कांग्रेस जुटी हुई है।

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