उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल में जनवरी 2024 से मार्च 2025 के बीच एचआईवी संक्रमण के 477 नए मामले दर्ज किए गए हैं। इस चिंताजनक आंकड़े ने स्वास्थ्य विभाग और आम जनता के बीच गहरी चिंता की लहर पैदा कर दी है।
खास बात यह है कि इनमें से 43 मामले केवल मार्च 2025 में सामने आए हैं।
डॉ. वैभव कुमार, जो अस्पताल के एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) केंद्र में कार्यरत हैं, ने बताया कि हर दिन नए संक्रमित रोगियों का अस्पताल में आना एक गंभीर स्थिति की ओर इशारा करता है. उन्होंने कहा, “यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति है। हम हर दिन कम से कम तीन नए मरीजों को संक्रमण के साथ देख रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, संक्रमित मरीजों में अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इनमें बड़ी संख्या उन बच्चों की है, जिन्हें संक्रमण जन्म के समय ही उनकी मां से मिला है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन मामलों में माता-पिता की जानकारी की कमी और समय पर इलाज न मिल पाना प्रमुख कारण हैं।
डॉ. कुमार ने बताया, “हमने पाया कि कई महिलाएं संक्रमित थीं और उन्हें समय पर परामर्श या इलाज नहीं मिल पाया, जिससे उनके बच्चे भी संक्रमित हो गए।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि एचआईवी के बढ़ते मामलों के पीछे नशीली दवाओं का उपयोग और असुरक्षित यौन संबंध प्रमुख कारण हैं। डॉक्टरों के अनुसार, नशे के आदी लोग एक-दूसरे के इंजेक्शन साझा करते हैं, जिससे वायरस तेजी से फैलता है।
डॉ. कुमार ने कहा, “नशे की लत एक बड़ी समस्या बन चुकी है. हमें ऐसे कई मामले देखने को मिल रहे हैं, जहां लोग परामर्श के लिए नहीं आ रहे, जिससे संक्रमण की रोकथाम मुश्किल हो रही है।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि हल्द्वानी जेल में बंद 23 कैदी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। इन कैदियों की पहचान तब हुई जब एक बंदी ने जेल प्रशासन से इलाज की मांग की और बाद में जांच के दौरान अन्य संक्रमित कैदियों का भी पता चला।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “जेल में कैदियों की जांच के बाद 23 लोग संक्रमित पाए गए। इनमें से कई को पहले से ही लक्षण थे, लेकिन उन्होंने किसी से साझा नहीं किया था।
आंकड़ा एक गंभीर चेतावनी!
एड्स नियंत्रण के लिए काम कर रही एजेंसियों और सरकारी संस्थाओं के लिए यह आंकड़ा एक गंभीर चेतावनी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस पर तुरंत नियंत्रण नहीं किया गया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमण की रोकथाम के लिए जनजागरूकता अभियान चलाने, स्कूलों और कॉलेजों में यौन शिक्षा को प्रोत्साहित करने, और नशामुक्ति कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।
हल्द्वानी अस्पताल में दर्ज किए गए 477 एचआईवी मामलों ने स्वास्थ्य प्रणाली के प्रति एक बार फिर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। यह न सिर्फ एक चिकित्सा आपात स्थिति है, बल्कि सामाजिक जागरूकता की भी बड़ी आवश्यकता है। जब तक लोग नशे से दूर नहीं होंगे और सुरक्षित यौन व्यवहार को नहीं अपनाएंगे, तब तक इस संक्रमण पर रोक लगा पाना मुश्किल होगा। सरकार और समाज दोनों को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा।