उत्तराखंड प्रदेश यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है। यूसीसी की नियमावली लगभग तैयार हो चुकी है। जिसके बाद उत्तराखंड में रह रहे सभी धर्मों के लिए समान कानून होगे। UCC के लागू होने से राज्य में रह रहे विवाहित जोड़ों और विवाह से जुड़े संबंधित मामलों में परिवर्तन देखने को मिलेगा। साथ ही लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे लोगों के लिए काफी कुछ आसान हो जायेगा।

आपको बता दें कि लिव इन रिलेशनशिप का मुद्दा अक्सर पूरे देश प्रदेश में चर्चा का विषय रहा है। जिसे कानूनी ठहराया गया। उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने से लिव इन में रहने वालो को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। चाहे वो किसी भी धर्म का हो।

आपको बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे अंतरधार्मिक जोड़े को सुरक्षा प्रदान की है। साथ ही अंतरधार्मिक जोड़ों को 48 घंटे के अंदर UCC उत्तराखंड 2024 की तहत अपने रिश्ते को पंजीकृत करने के लिए कहा है।

378. (1) राज्य के भीतर लिव-इन संबंध के लिए भागीदारों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे उत्तराखंड के निवासी हों या नहीं, धारा 381 की उपधारा (1) के अधीन लिव-इन संबंध का विवरण रजिस्ट्रार को प्रस्तुत करें, जिसकी अधिकारिता में वे इस प्रकार रह रहे हैं।

अंतर _धार्मिक मामला

आपको बता दें कि 26 वर्षीय हिन्दू लड़की, 21 वर्षीय मुस्लिम लड़के के साथ लिव इन में रह रही है। जिसके चलते याचिकाकर्ताओं ने अपनी संरक्षण याचिका में दावा किया था कि वे लिव-इन रिलेशनशिप में एक साथ रह रहे हैं, जिसके कारण लड़की के माता-पिता और भाई उन्हें धमकियां दे रहे हैं।

जिस पर जस्टिस मनोज कुमार तिवारी और जस्टिस पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने इस प्रकार निर्देश दिया:

“हम यह प्रदान करते हुए रिट याचिका का निपटारा करते हैं कि यदि याचिकाकर्ता 48 घंटे के भीतर उपरोक्त अधिनियम के तहत पंजीकरण के लिए आवेदन करते हैं, तो एसएचओ, पीएस डालनवाला, देहरादून याचिकाकर्ताओं को छह सप्ताह की अवधि के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि निजी उत्तरदाताओं या उनके इशारे पर काम करने वाले किसी अन्य व्यक्ति से उन्हें कोई नुकसान न हो।

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