उत्तराखंड के नगर निकायों में कार्यरत आउटसोर्स संविदा कर्मी व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है कि राज्य सरकार ने नगर निकाय में स्वीकृत पदों पर नई भर्तियों की प्रक्रिया को शुरू करने का निर्णय लिया है जिसके तहत अस्थाई कर्मचारियों को उनके पद से बर्खास्त किया जा सकता है। इस फैसले का उद्देश्य नगर निकायों में पारदर्शिता और स्थायित्व लाना बताया जा रहा है हालांकि यह फैसला हजारों कर्मियों की नौकरी पर असर डाल सकता है जो लंबे समय से इन पदों पर कार्यरत थे।
बता दें उत्तराखंड नगर निकायों में स्वीकृत पदों के अलग भर्ती आउटसोर्स, संविदाकर्मी दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को पद से हटाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। जिसके लिए शासन ने एक सप्ताह में इसकी रिपोर्ट मांगी है। दरअसल शहरी विकास के सचिव नितेश झा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि शहरी विकास विभाग के 12 जून 2015 को पुनर्गठित ढांचे के स्वीकृत पदों से किसी भी प्रकार की नियुक्ति नहीं की जा सकती है अगर किसी निकाय में इन नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो उसे अनियमित माना जाएगा। इसलिए इसे तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाए।
उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा है कि पूर्व के शासनादेश के मुताबिक कर्मियों की नियुक्ति निकायों ने अपने स्तर पर करते हुए अनियमित वेतन जारी किया है जिसकी वसूली शहरी निकाय के नियंत्रक या सक्षम प्राधिकारी से की जाएगी। इतना ही नहीं बल्कि 27 अप्रैल 2018 को जारी आदेश और शहरी विकास विभाग के तहत निकायों में की गई अनियमित नियुक्तियां अवैध बताई गई है। बताया जा रहा है कि कई निकायों में चैयरमेन के स्तर से कर्मचारियों को दैनिक वेतन आउटसोर्स या संविदा पर भर्ती किया गया है इन सब की सेवाएं तत्काल समाप्त की जाएगी।