उत्तराखंड में सील किए गए मदरसे तब तक नहीं खुलेंगे, जब तक वे सभी निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते। मदरसा बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने धामी सरकार का रुख स्पष्ट किया।देहरादून, हरिद्वार और मंगलौर के संचालकों ने मदरसा बोर्ड अध्यक्ष से देहरादून में मुलाकात के दौरान सील किए गए मदरसे खोलने की मांग उठाई।
इस पर कासमी ने कहा कि सरकार की कार्रवाई का उद्देश्य मदरसे मानकों के अनुरूप संचालित कराने के साथ बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ना है। इसके अलावा सरकार की कोई दूसरी मंशा नहीं है।
कासमी ने बताया कि जो मदरसे मानकों का पालन नहीं कर रहे थे और सील किया जा चुका है। मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को नजदीकी स्कूलों में दाखिला मिलेगा। बताया कि बच्चों के दाखिले के लिए डीएम और शिक्षा विभाग को कहा गया है।
मकतबों पर कार्रवाई नहीं होगी
कासमी के अनुसार, मकतबों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी और इसके लिए शासन को पत्र भेज दिया गया है। इस बैठक में मुफ्ती अनस, कारी असजद, कारी अफजल मोहम्मद उजैर शामिल रहे। गौरतलब है कि प्रदेशभर में तमाम खामियों के कारण 150 से ज्यादा मदरसे सील किए गए हैं।
जिलों से मांगी रिपोर्ट
कासमी के अनुसार, प्रदेशभर में जिन 37 मदरसों के आवेदन के बावजूद मान्यता से रोका गया है, उन मामलों में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है। इन मदरसों की फाइलों में दस्तावेज पूरे नहीं थे। इनकी रिपोर्ट सही पाए जाने के साथ ही स्थलीय निरीक्षण किए जाने के बाद मान्यता दी जाएगी। बता दें कि 97 मदरसों को मान्यता के साथ नवीनीकरण हो चुका है।